पिछले कुछ दशकों में चीन की जन्म दर में भारी गिरावट देखने में नजर आई है। बढ़ता जीवन स्तर, बदलते सामाजिक मूल्य, किफायती बाल देखभाल विकल्पों की कमी और सरकार की सख्त एक-बच्चा नीति इन सबके पीछे महत्वपूर्ण कारक रहे है। महामारी प्रतिबंधों में ढील के बाद दबी हुई मांग के कारण 2023 में इसमें थोड़ी वृद्धि देखी गई थी, लेकिन 2024 में यह दर 1980 के बाद से सबसे कम रही है। विवाह पंजीकरण में गिरावट के कारणों में युवा लोगों की संख्या में कमी होना, विवाह योग्य आबादी में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की अधिक संख्या, विवाह की उच्च लागत और बदलते दृष्टिकोण शामिल रहे। हॉन्गकॉन्ग स्थित पेंशन फंड स्टर्लिंग फाइनेंस लिमिटेड के चेयरमैन स्टुअर्ट लैकी के अनुसार यह भविष्य में चीन के लिए सबसे बड़ी समस्या होगी। यदि ऐसी ही स्थिति रही तब चीन की आबादी 2029 में 1 अरब 44 करोड़ के चरम पर पहुंचकर गिरावट के दौर में प्रवेश कर जाएगी। विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉक्टर यी फ़ुक्सियान मानते है कि चीन की जनसंख्या की गिरावट का असर दुनिया के दूसरे हिस्सों पर बुरी तरह से प्रभाव डाल सकता है। चूंकि दुनिया के अधिकतर उद्योग चीन पर निर्भर हैं। जनसंख्या में गिरावट का असर इस मामले में बहुत बड़ा बन सकता है। चीन के लिए यही समय है जबकि वह अपनी बिगडती डेमोग्राफिक सिथति को संभाल सकता है।
इसी घटती जन्म दर की समस्या से निपटने हेतु अधिकारी, नई प्रजनन और बाल देखभाल सहायता उपायों के सहारे चीनी नागरिकों को आकृष्ट करने का प्रयास कर रहे है। चेंग्दू, चांगचुन और शेनमू सहित कई शहरों ने तो परिवारों का समर्थन करने और बच्चे के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और सेवा विस्तार की श्रृंखला पर काम करना आरंभ कर दिया है। इस सब्सिडी पैकेज की घोषणा के तहत दी जानी वाली सुविधा आकर्शक है, जैसे- तीसरे बच्चे का स्वागत करने वाले परिवार 10,000 युआन की एकमुश्त सब्सिडी के पात्र होगें, जबकि दूसरे बच्चे वाले परिवारों को 5,000 युआन देने की बात है। इसके अतिरिक्त, तीसरे बच्चे वाले परिवारों को बच्चे के तीन साल का होने तक सालाना 10,000 युआन मिलेंगे, जबकि दूसरे बच्चे वाले परिवारों को दो साल की उम्र तक सालाना 3,000 युआन मिलेंगे। चेंग्दू शहर ने अपने चाइल्डकेयर इकोसिस्टम को बढ़ाने पर केंद्रित एक कार्यान्वयन योजना भी जारी की है, जिसके मुख्य उपायों में पंजीकृत संस्थानों में समावेशी बाल देखभाल स्लॉट की उपलब्धता को 60 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि सभी माध्यमिक और तृतीयक सार्वजनिक अस्पताल बाल चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेंगे। चांगचुन ने एक मसौदा योजना जारी किया है जिसमें स्तरीय बाल देखभाल सब्सिडी का प्रस्ताव दिया गया है जिसके तहत शहरी सार्वजनिक बाल देखभाल संस्थानों को प्रति बच्चा सालाना 2,400 युआन मिलेंगे, जबकि कुछ स्व-वित्तपोषित संस्थानों को 3,600 युआन तक मिल सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये पहल अमूर्त नीति लक्ष्यों से व्यावहारिक, स्थानीय कार्यान्वयन की ओर बदलाव का संकेत देती हैं। चूंकि इसमें यह भी ध्यान दिए जाने की बात हैं कि ये संपूर्ण-श्रृंखला दृष्टिकोण न केवल प्रसव बल्कि आवास, विवाह और प्रारंभिक शिक्षा सहित व्यापक मुद्दों को संबोधित करते हैं।
चीन तेजी से डबल इनकम-नो किड्स समाज की ओर बढ़ रहा है जिसे जनसांख्यिकीय रूप से एक खतरनाक प्रवृत्ति कहा जा सकता है। चीन की कुल प्रजनन दर पिछले कुछ सालों से 1 के आसपास बनी हुई है, जो कि आवश्यक प्रतिस्थापन स्तर 2.1 के आधे से भी कम है। इस बीच, देश में उम्र बढ़ने की दर में वृद्धि जारी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले साल 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या कुल आबादी का लगभग 15.6 प्रतिशत थी। नीति निर्माता इसे अस्तित्व के लिए खतरा मान रहे और उसी कारण अपने पास मौजूद सभी वित्तीय साधनों के साथ इसका समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे।
डबल इनकम-नो किड्स समाज की ओर बढ़ते कदम
पूर्वी एशिया की तेजी से घटती जन्म दर व्यापार अधिशेष द्वारा वित्तपोषित बाहरी परिसंपत्तियों की बढ़ती मांग का एक प्रमुख कारक है। बच्चों की परवरिश को पारंपरिक रूप से बुढ़ापे के दौरान वित्तीय सहायता में निवेश के रूप में देखा जाता है। यदि बहुत से लोग कम बच्चे पैदा करना चुनते हैं, तो देश की बचत से उसकी मुद्रा के मूल्य में वृद्धि हो सकती है या व्यापार अधिशेष हो सकता है। बच्चों को जन्म देने के बारे में जोड़ों के निर्णय का व्यापक सामाजिक प्रभाव पड़ता है। पिछले तीन सालों में देश भर में हज़ारों किंडरगार्टन बंद हो गए हैं इसकी वजह नामांकन में तेज़ी से गिरावट का आना रहा। बीजिंग और शंघाई जैसे महंगे शहरों में रहने वाली महिलाएं बच्चे पैदा करने में देरी करना या उसे टालना चाहती हैं। कामकाजी और आत्मनिर्भर महिलाएं या तो बच्चे ही पैदा नहीं करना चाहती या फिर 1 के बाद दूसरा बच्चा नहीं चाहती। काम का बढ़ता तनाव, नौकरी में अनिश्चिंता का भाव, बढ़ती लागत, नई जिम्मेदारी बढ़ाने से वह खुद को मुक्त रखना चाहते है। 2013 के बाद से ही विवाह रजिस्ट्रेशन में हर साल गिरावट आना चीन के भविश्य को लेकर आषंकित करते है है। 2006 के बाद एक ओर जहां हर वर्ष तलाक की संख्या बढ़ी है तो दूसरी ओर अकेले लोगों ने अपनी आजादी का आनंद उठाना शुरू कर दिया है और 11 नवंबर को सिंगल्स डे मना रहे हैं।
एक समस्या यह भी है कि चीनी महिलाओं को स्नातक श्रम बाजार में काम पाने में बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अगर उन्हें नौकरी मिल जाती है तो वे गर्भवती होने से बचना चाहती हैं, इस चिंता के कारण कि कहीं उनके नियोक्ता उन्हें नौकरी से न निकाल दें। चीन के श्रम कानून में सुरक्षा की पेशकश के बावजूद यह एक आम बात है। जॉन एल. थॉर्नटन चाइना सेंटर, द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के निदेषक चेंग ली के अनुसार वर्तमान समय में चीन में महिला जनसंख्या का 48.7 प्रतिशत और श्रम शक्ति का 44.5 प्रतिशत हैं। दरअसल काम को मुष्किल से हासिल करने वाली बच्चे पैदा करने के लिए नहीं सोचती और जो चीनी की पारंपरिक संस्कारों का निर्वहन कर रही वह दो क्या एक और बच्चे के पालन पोशण की जिम्ेदारी नहीं उइाना चाहती। नई पीढ़ी बच्चे तो दूर की बात है विवाह जैसी संस्था में नहीं घुसना चाहती।
वित्तीय प्रोत्साहन योजना की सफलता पर सवाल
जन्म सब्सिडी, तेजी से एक मुख्य उपकरण के रूप में उभर कर सामने आ रही है। इस योजना को लेकर शोध निष्कर्ष मिश्रित हैं, लेकिन अधिकांश अध्ययन, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों, सुझाव देते हैं कि प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता कुछ हद तक प्रजनन दर को बढ़ा सकती है। तांग के गृहनगर तियानमेन ने इसका एक प्रारंभिक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसने हुबेई प्रांत के इस कम-ज्ञात शहर को राष्ट्रीय ख्याति दिलाई है जबकि स्थानीय अधिकारियों ने घोषणा की कि तियानमेन ने 2024 में जन्मों में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। यह वृद्धि पिछले वर्ष देशभर में दर्ज नवजात शिशुओं की संख्या में मामूली 5.5 प्रतिशत की वृद्धि से कहीं अधिक थी, जिससे यह आशा जगी है कि चीन के अन्य शहर भी तियानमेन की नीतियों की नकल करके समान परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं।
बीजिंग स्थित निजी थिंक टैंक, युवा जनसंख्या अनुसंधान संस्थान (जनसांख्यिकी और सार्वजनिक नीति विश्लेषण पर केंद्रित) के प्रमुख हुआंग का कहना है कि यह परिणाम वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप है, जहां जन्म प्रोत्साहन में निवेश किए गए सकल घरेलू उत्पाद का प्रत्येक 1 प्रतिशत, प्रजनन दर में औसतन 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के रूप में सामने आता है। हालांकि, हुआंग चेतावनी भी देते है कि भले ही तियानमेन शैली की सब्सिडी पूरे चीन में लागू की गई हो, फिर भी यह देश की जनसांख्यिकी दिशा को सही मायने में बदलने के लिए अपर्याप्त होगी। अगर चीन तियानमेन की जन्म सब्सिडी को पूरे देश में लागू करता है, तो सिनोलिंक सिक्योरिटीज के मुख्य अर्थशास्त्री सोंग ज़ुएताओ के अनुमान के अनुसार, देश को लगभग 150 बिलियन युआन (20.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का नुकसान होगा। लेकिन हुआंग के अनुसार, सरकार को चीन की प्रजनन दर को उसके अनुमानित वर्तमान 1.0 दर से बढ़ाकर 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक लाने के लिए वास्तव में उस राशि का 30 से 50 गुना निवेश करना होगा।
हाल ही में पूर्वी चीन में एक शोध दल द्वारा 144,000 से अधिक माता-पिता, जिनके पास पहले से ही एक छोटा बच्चा है, के बीच किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण में पाया कि केवल 15 प्रतिशत ने ही और बच्चे पैदा करने की योजना बनाई। सितंबर 2024 में प्रजनन चिकित्सा पत्रिका ह्यूमन रिप्रोडक्शन ओपन में प्रकाशित एक अघ्ययन में जब शोधकर्ताओं ने उत्तरदाताओं को 1,000 युआन की सरकारी सब्सिडी की योजना के बारे में बताया, तो और बच्चे पैदा करने की इच्छा प्रकट करने वाले माता-पिता का अनुपात 8.5 प्रतिशत अंक बढ़ गया। जन्म प्रोत्साहन की इस तरह की योजनाओं की प्रभावशीलता अन्य देशों में भी स्पष्ट देखने को मिलती है, जैसे-दक्षिण कोरिया में, स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने जनवरी 2024 में सब्सिडी में तीव्र वृद्धि की घोषणा की, जिसमें एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के माता-पिता को प्रति माह 1 मिलियन वॉन (यूएस$682) और एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों वाले माता-पिता को 500,000 वॉन मिलेंगे। एक साल बाद, सरकारी आंकड़ों से पता चला कि 2024 में दक्षिण कोरिया में जन्म दर में सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है - यह देश में नौ वर्षों में दर्ज की गई पहली वृद्धि है। हालांकि, जापान के अनुभव से पता चलता है कि गैर-मौद्रिक सहायता भी कुछ हद तक कारगर सिद्ध हो सकती, बहुत अधिक नहीं। पिछले वर्ष मई में प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2005 से जापान में बाल देखभाल सुविधाओं के विस्तार से कुल प्रजनन दर में 0.1 की वृद्धि हुई है।
हालांकि, चीनी अधिकारी नागरिकों को सरकारी योजनाओं से रिझााने के भरसक प्रयास कर रहे है और उपरोक्त वित्तीय सहायता के अलावा भी कुछ अन्य बातों मे भी ध्यान दिया जाना, इस बात का सबूत है जैसे मातृत्व अवकाश। फिर श्रम बाजार की स्थितियों में बदलाव के संकेत सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जगा रहे। कुछ हफ़्ते पहले ही, चीन की केंद्र सरकार ने खपत को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक कार्य योजना के तहत अत्यधिक ओवरटाइम पर नकेल कसने की कसम खाई थी। अग्रणी ड्रोन निर्माता ‘डीजेआई ‘ सहित कई प्रमुख टेक कंपनियाँ जो अपने ओवरटाइम संस्कृति के लिए कुख्यात हैं, ने भी अपने कर्मचारियों के काम के घंटे कम करने का संकल्प लिया है। नई रणनीति में श्रमिकों की आय बढ़ाने से लेकर उपभोग के माहौल में सुधार तक कई अंतर्निहित मुद्दों को शामिल किया गया है। निश्चित तौर पर इन बातों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता होगी यदि चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को उपभोग-संचालित विकास मॉडल पर स्थानांतरित करना है।
उपकरण बनाने वाली दिग्गज कम्पनियाँ मिडिया और हायर भी कथित तौर पर इस लड़ाई में शामिल हो गई हैं। हायर ने अपने मुख्यालय में सभी कर्मचारियों को दो दिन का सप्ताहांत मनाने का आदेश दिया है, और मिडिया ने कर्मचारियों को शाम 6.20 बजे तक काम से बाहर निकलने की अनिवार्यता शुरू कर दी है। प्रांतीय सरकार से जुड़े एक थिंक टैंक गुआंगडोंग सोसाइटी ऑफ रिफॉर्म के कार्यकारी अध्यक्ष पेंग पेंग ने कहा कि ऐसी कंपनियों में ओवरटाइम प्रतिबंध अत्यधिक काम के घंटों को कम कर सकते हैं, लेकिन वे कम आशावादी आर्थिक दृष्टिकोण का भी संकेत देते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के वित्तीय प्रोत्साहन संभवतः प्रजनन दर को बढ़ाने का सबसे तेज़ तरीका है, और फिर भी वे पर्याप्त नहीं कहे जा सकते। बढ़ी हुई चाइल्ड कैअर सेवाएँ, विस्तारित मातृत्व अवकाश, और शिक्षा, आवास और रोजगार के क्षेत्रों में मजबूत समर्थन, साथ ही एक स्वस्थ विवाह और प्रसव संस्कृति भी जन्म-अनुकूल समाज को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
Image Credit: Harley Lin on Unsplash
Author
Rekha Pankaj
Mrs. Rekha Pankaj is a senior Hindi Journalist with over 38 years of experience. Over the course of her career, she has been the Editor-in-Chief of Newstimes and been an Editor at newspapers like Vishwa Varta, Business Link, Shree Times, Lokmat and Infinite News. Early in her career, she worked at Swatantra Bharat of the Pioneer Group and The Times of India's Sandhya Samachar. During 1992-1996, she covered seven sessions of the Lok Sabha as a Principle Correspondent. She maintains a blog, Kaalkhand, on which she publishes her independent takes on domestic and foreign politics from an Indian lens.