चीनी अधिकारियों ने, शिक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में, छह अन्य विभागों के साथ मिलकर देश भर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में ’विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा को मज़बूत’ करने के लिए संयुक्त रूप से दिशानिर्देश जारी कर 2030 तक कर एक आधारभूत शिक्षा प्रणाली स्थापित करने पर एकमत राय की प्रकिया पर कार्य करने पर जोर दिया है। इसकी परिकल्पना में बेहतर पाठ्यक्रम, शिक्षण सुधार, उन्नत मूल्यांकन तंत्र और बेहतर शिक्षक विकास के साथ-साथ इसके प्रमुख पहलुओं में व्यावहारिक अभ्यास के माध्यम से वैज्ञानिक रुचि और भावना को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगी और एकीकृत शिक्षा प्रणाली का निर्माण और एक मुक्त पाठ्यक्रम पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना जैसे मूल उद्येश्य शामिल है जो अंतःविषय ज्ञान को एकीकृत करके छात्रों को जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाता है। ये सुधार योग्यता-आधारित शिक्षण, अनुसंधान और व्यापक मूल्यांकन पर भी ज़ोर देता हैं, साथ ही वास्तविक दुनिया के विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुभवात्मक अधिगम को समर्थन देने के लिए शिक्षण संसाधनों और वातावरण को उन्नत करता हैं। विज्ञान शिक्षा पर प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित किए जाने से यह योजना वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा में अनुसंधान और व्यावहारिक नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देती नजर आती है।
बाहरी पहुँच के साथ घरेलू सुदृढ़ीकरण
अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा के दूरगामी लाभ एवं आवश्यकताओं को देखते हुए, अपनी व्यापक विदेश नीति और आर्थिक रणनीतियों (विशेषकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, बीआरआई) में इसे शामिल कर बाहरी पहुँच के साथ घरेलू सुदृढ़ीकरण की ओर अपनी मंशा बता दी है। लेकिन इसका परिणाम भागीदार देशों के लिए क्षमता निर्माण और कौशल हस्तांतरण के मिश्रण के साथ-साथ असममित निर्भरता, बौद्धिक संपदा/गोपनीयता मानदंडों और भू-राजनीतिक प्रभाव से जुड़ी चिंताओं के रूप में सामने आता है। हालांकि चीन की ैज्म्ड शिक्षा (ज्ञ-12 और उच्च शिक्षा) को बढ़ावा देने की आंतरिक राष्ट्रीय योजनाएँ, बाहरी सहयोग की गुणवत्ता और पैमाने को बढ़ावा देती हैंः जैसे-जैसे चीन घरेलू स्तर पर अधिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षमता का उत्पादन करता है, वह साझेदार देशों को अधिक विशेषज्ञता और आकर्षक प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है। रॉयटर्स की रिपोर्ट में प्राथमिक स्तर से लेकर ऊपर तक विज्ञान शिक्षण को मज़बूत करने के हालिया निर्देशों पर प्रकाश डाला गया है। ये पहल विकासशील देशों को कैसे प्रभावित करती हैं -इसको विश्लेषणात्मक निष्कर्ष के रूप में देखे तो छात्रवृत्ति और संयुक्त प्रयोगशालाएं इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को व्यावहारिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण प्रदान करती हैं, जिससे स्थानीय क्षमताओं (कृषि, बुनियादी ढांचा तकनीक, डिजिटल कौशल) को बढ़ाया जा सकता है। बुनियादी ढांचे और मानव पूंजी संयोजन की दृष्टि से बीआरआई परियोजनाओं के साथ अक्सर (औपचारिक या अनौपचारिक रूप से) स्थानीय तकनीशियनों और प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी होते हैं, जिससे टिकाऊ रखरखाव और स्थानीय रोजगार सृजन की संभावना बढ़ जाती है।व्यापक छात्रवृत्ति प्रवाह, कार्यक्रम डिज़ाइन और चीन-प्रधान अनुसंधान नेटवर्क चीनी पाठ्यक्रमों, डेटा मानकों या तकनीकी पारिस्थितिकी प्रणालियों पर निर्भरता पैदा कर सकते हैं, जिससे तकनीकी विकल्पों पर स्थानीय स्वायत्तता कम हो सकती है। हालांकि इस पर विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे साझेदार देशों के भविष्य की तकनीकी प्रगति प्रभावित हो सकती है।
चीन छात्रवृत्ति परिषद (सीएससी) और सरकारी छात्रवृत्तियाँ
सीएससी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं (चीन आने वाले और चीन से बाहर जाने वाले, दोनों) को वित्तपोषित करने का मुख्य माध्यम है। सीएससी और छात्रवृत्ति रणनीति का विश्लेषण करें तो यह एक रणनीतिक साधन है जो आदान-प्रदान को बढ़ाता है और चीनी संस्थानों से जुड़े सघन शैक्षिक नेटवर्क का निर्माण करता है। सीएससी कार्यक्रम, साथ ही बीआरआई-लक्षित छात्रवृत्तियाँ और संबंधित योजनाएँ, बड़े पैमाने पर हैं और इनका उद्देश्य भागीदार देशों की तकनीकी प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करना है। रिपोर्टों के अनुसार, कुछ वर्षों में हज़ारों प्रायोजित आदान-प्रदान हुए हैं। ये छात्रवृत्तियाँ कौशल हस्तांतरण और नेटवर्क निर्माण के प्रत्यक्ष साधन हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग केंद्र, संयुक्त प्रयोगशालाएँ और लक्षित अनुदान चीन साझेदार विश्वविद्यालयों और सरकारों के साथ संयुक्त अनुसंधान केंद्रों और प्रयोगशालाओं को वित्तपोषित करता है (जो अक्सर कृषि, जन स्वास्थ्य, अवसंरचना इंजीनियरिंग, डिजिटल अवसंरचना और अन्य अनुप्रयुक्त विज्ञानों पर केंद्रित होते हैं)। ये केंद्र प्रशिक्षण, परामर्श और अनुप्रयुक्त अनुसंधान को जोड़ते हैं, जिसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण तकनीकी समस्याओं का समाधान करना है, साथ ही स्थानीय शोधकर्ताओं को चीनी शैक्षणिक-उद्योग नेटवर्क से जोड़ना है। प्रतिभा पाइपलाइन और ‘वैश्विक शासन/उत्कृष्टता प्रशिक्षण’ नए कार्यक्रम उच्च-स्तरीय शासन/विज्ञान नेतृत्व कौशल (जैसे, ष्उत्कृष्टता के युवाष् शैली की पहल और इसी तरह की प्रमुख प्रशिक्षण योजनाएँ) को लक्षित करते हैं ताकि विकासशील देशों के अभिजात वर्ग को प्रशासनिक, वैज्ञानिक या तकनीकी नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा सके जहाँ वे बाद में चीनी संस्थानों के साथ बातचीत करेंगे।
एस एंड टी फंडिंग के स्रोत और तीव्रता
दुनिया में दूसरी जगहों की तरह, चीन के इनोवेशन इकोसिस्टम के लिए फंडिंग कई तरह के कमर्शियल और पब्लिक सोर्स से आती है और कई तरह के पब्लिक और प्राइवेट एसएंडटी सेक्टर्स तक जाती है। हालांकि, दूसरी बड़ी और टेक्नोलॉजी में एडवांस्ड इकॉनमी के उलट, चीन में सरकार से जुड़े सोर्स एक अहम भूमिका निभाते हैं, जो देश के एसएंडटी इकोसिस्टम में आने वाली कुल फंडिंग का लगभग 60: हिस्सा हैं। रोडियम ग्रुप की रिसर्च के अनुसार, 2022 में यूनिवर्सिटी और रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए एसएंडटी बजट का लगभग 70; बजटरी (यानी, सरकारी) सोर्स से था, और इसका 68: लोकल सरकारों से आया। क्योंकि सरकार से जुड़ी फंडिंग चीन के एसएंडटी सिस्टम की फाइनेंसिंग का बहुत ज़्यादा हिस्सा है, इसलिए कमज़ोर होती फाइनेंशियल हालत से रुकावट का बड़ा खतरा है। लोकल सरकारें, जिनमें से कई पैसे की तंगी का सामना कर रही हैं, 2022 में सरकार के कुल एसएंडटी खर्च का लगभग दो-तिहाई हिस्सा देने के लिए ज़िम्मेदार थीं। एसएंडटी के लिए फंडिंग के दूसरे सोर्स, जिसमें रीइन्वेस्टेड प्रॉफिट से लेकर इक्विटी और लोन तक के कमर्शियल फाइनेंसिंग चौनल शामिल हैं, पर भी धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ का दबाव होगा।
नेशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स ऑफ़ चाइना के अनुसार 2023 में,एसएंडटी पर कुल फिस्कल (सरकारी) खर्च 1,199.58 बिलियन युआन था, जिसमें से 66.9: लोकल सरकारों से और 33.1: सेंट्रल सरकार से आया। मिनिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार, 2024 में, 4,059 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ने अपनी साइंटिफिक उपलब्धियों को छह चैनलों के ज़रिए कमर्शियल या एप्लाइड आउटपुट में बदला। रिपोर्ट से पता चलता है कि 2024 में, कुल 4,059 यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट ने अपनी साइंस-टेक उपलब्धियों को छह चैनलोंः ट्रांसफर, लाइसेंसिंग, इक्विटी इन्वेस्टमेंट, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, कंसल्टिंग और सर्विसेज़, के ज़रिए बदला, जिसमें कुल 226.9 बिलियन युआन (लगभग 31.9 बिलियन यूएस डॉलर) के कॉन्ट्रैक्ट हुए, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 परसेंट ज्यादा था।यूनिवर्सिटीज़ और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स के लिए फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा लोकल सरकारों से आता है, इसलिए जाहिर है लोकल एडमिनिस्ट्रेशन्स पर बजट का दबाव लगातार सपोर्ट को खतरे में डाल सकता है। जैसा कि रोडियम ग्रुप ने बताया है, लोकल सरकार के रेवेन्यू पर दबाव है, जिससे इनोवेशन फंडिंग को खतरा हो सकता है।
हालांकि यह इस बात का साफ़ उदाहरण है कि चीन न सिर्फ़ रिसर्च बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है, बल्कि उसे मार्केटेबल टेक्नोलॉजी में बदलने पर भी ज़ोर दे रहा है। खास पॉलिसीज़ के ज़रिए, चीन “साइंस-टेक अचीवमेंट ट्रांसफॉर्मेशन” पर ज़ोर दे रहा है जैसे लाइसेंसिंग, स्टार्ट-अप्स, इक्विटी इन्वेस्टमेंट, कंसल्टिंग और दूसरी सर्विसेज़ के ज़रिए एकेडमिक रिसर्च को इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन्स में बदलना। 2024 का डेटा (कॉन्ट्रैक्ट्स में 226.9 बिलियन युआन) बताता है कि यह एक मैच्योर और बढ़ता हुआ मॉडल बन रहा है।
बौद्धिक संपदा (आईपी) एवं डेटा साझाकरण संबंधी चिंताएं
संयुक्त परियोजनाएं आईपी स्वामित्व, डेटा प्रशासन और परिणामों तक पहुंच के बारे में प्रश्न उठाती हैं। आलोचक परिवर्तनशील पारदर्शिता और इस जोखिम पर ध्यान देते हैं कि स्थानीय शोधकर्ताओं का परिणामों पर सीमित नियंत्रण हो सकता है। सीएएस ने बीआरआई देशों के अनुसंधान वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने के लिए चीन में पाँच उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए हैं। इसके अलावा, सीएएस ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य एशिया, दक्षिण और पूर्वी एशियाई देशों में नौ विदेशी संस्थान स्थापित किए हैं। उदाहरण के लिए, श्रीलंका स्थित केंद्र जल प्रबंधन पर केंद्रित है; ब्राजील के साओ पाउलो स्थित केंद्र मौसम और अंतरिक्ष पर अनुसंधान पर केंद्रित है, और ताशकंद स्थित केंद्र मध्य एशिया की क्षेत्रीय विशेषताओं वाली प्राकृतिक उत्पाद औषधियों के अनुसंधान और विकास पर केंद्रित है।
बोस्टन विश्वविद्यालय के वैश्विक विकास नीति केंद्र द्वारा सोमवार को जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि बीआरआई ने 2021 तक विकासशील देशों की सरकारों को 330 बिलियन डॉलर से अधिक का ऋण दिया है, जो कुछ वर्षों में विश्व बैंक द्वारा दिए गए ऋण से भी अधिक है। केंद्र के निदेशक केविन गैलाघर ने कहा, ’कुछ हद तक, चीन ने विकासशील देशों में एक विश्व बैंक को जोड़ा है, और यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और विकासशील देशों द्वारा इसकी बहुत सराहना की जाती है।‘ लेकिन इसी अध्ययन में यह भी बताया गया है कि चीनी ऋण प्राप्त करने वाले कई देश अब अपने समग्र ऋणों से जूझ रहे हैं। इसके अलावा, चीन द्वारा वित्त पोषित बिजली संयंत्र प्रति वर्ष लगभग 245 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर रहे हैं, जिससे जलवायु परिवर्तनकारी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है।
बिला शक शिक्षा कार्यक्रम अनुसंधान प्रशासन, शैक्षणिक अभ्यास और तकनीकी मानकों (डेटा के प्रति चीन के दृष्टिकोण, निगरानी-सम्बन्धी तकनीक आदि सहित) के बारे में मानदंड प्रदान करते हैं। लेकिन समय के साथ, यह संस्थानों की नियामक संस्कृतियों को प्रभावित कर सकता है। किसी प्राप्तकर्ता देश के लिए इसका शुद्ध परिणाम सकारात्मक होगा या नहीं, यह स्थानीय शासन, अनुबंध के विवरण (आईपी, रखरखाव, डेटा), और प्राप्तकर्ता की विजिटिंग स्कॉलर और संयुक्त परियोजनाओं की एकतरफा निर्भरता के बजाय टिकाऊ घरेलू क्षमता में बदलने की क्षमता पर निर्भर करता है।
बीआरआई के सदस्य देशों के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग कई समानांतर मार्गों पर चलता है, जहाँ चीन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक संगठन, चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस), वैज्ञानिक कार्यक्रमों के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाता है। सीएएस के अध्यक्ष, बाई चुनली के अनुसार, ’विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार बीआरआई के विकास की मुख्य प्रेरक शक्ति हैं’ जिससे बीआरआई के भागीदार देशों के सामने आने वाली जलवायु परिवर्तन, जल एवं खाद्य सुरक्षा, जन स्वास्थ्य और पारिस्थितिक चुनौतियों सहित कई विकासात्मक बाधाओं को दूर किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
निःसंदेह चीन का एसएंडटी एजुकेशन पर ज़ोर, गरीब देशों में तेज़ी से कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए एक इंजन और स्ट्रेटेजिक असर का एक वेक्टर, दोनों है। महत्वाकांक्षी और बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट के नजरिए से चीन का एसएंडटी बहुत बड़ा है और बढ़ रहा है, खासकर आर एंड डी में, जिसमें जीडीपी के मुकाबले कुल खर्च और बजट तीव्रता दोनों में साफ़ तौर पर ऊपर की ओर ट्रेंड है। नेशनल लैब, इंजीनियरिंग सेंटर, यूनिवर्सिटी और सरकार से जुड़े आर एंड डी इंस्टीट्यूट चीन के इनोवेशन सिस्टम का इंफ्रास्ट्रक्चर बैकबोन हैं, जिन्हें सेंट्रल और लोकल दोनों सरकारों का भारी सपोर्ट मिलता है। फिर भी लोकल गवर्नमेंट फंडिंग पर निर्भरता, रिसर्च को कमर्शियल आउटपुट में अच्छे से बदलने की ज़रूरत, और ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस पक्का करना, ये चीन के लिए लगातार चुनौतियों के रूप में सामने आती रहेगी।
Author
Rekha Pankaj
Mrs. Rekha Pankaj is a senior Hindi Journalist with over 38 years of experience. Over the course of her career, she has been the Editor-in-Chief of Newstimes and been an Editor at newspapers like Vishwa Varta, Business Link, Shree Times, Lokmat and Infinite News. Early in her career, she worked at Swatantra Bharat of the Pioneer Group and The Times of India's Sandhya Samachar. During 1992-1996, she covered seven sessions of the Lok Sabha as a Principle Correspondent. She maintains a blog, Kaalkhand, on which she publishes her independent takes on domestic and foreign politics from an Indian lens.