चीनी धार्मिक कानून के अनुसार कोई भी राज्य निकाय, सार्वजनिक संगठन या व्यक्ति नागरिकों को किसी भी धर्म में विश्वास करने या न करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता; न ही वे उन नागरिकों के साथ भेदभाव कर सकते हैं जो किसी भी धर्म में विश्वास करते हैं या नहीं करते, लेकिन वस्तुस्थिति इतनी भी लचीलापन लिए हुए नजर नहीं आती।

चीन के राष्ट्रीय धार्मिक मामलों के प्रशासन ने धार्मिक कर्मियों के ऑनलाइन आचरण की निगरानी को कड़ा करने के उद्देश्य से 18 लेखों का एक नया विनियमन जारी किया है। नियम विशेष रूप से ऑनलाइन उपदेश, धर्मग्रंथ शिक्षण और धार्मिक प्रशिक्षण को संबोधित करते हैं। विनियमन के तहत, ऐसी गतिविधियों को केवल मान्यता प्राप्त धार्मिक समूहों, संस्थानों, मंदिरों या चर्चों द्वारा संचालित कानूनी रूप से स्थापित और लाइसेंस प्राप्त प्लेटफार्मों के माध्यम से ही अनुमति दी जाती है। अनधिकृत प्लेटफार्मों को धार्मिक सामग्री की मेजबानी करने पर रोक लगा दी गई है। यह नियम मौलवियों पादरियों को ऑनलाइन आत्म-प्रचार में शामिल होने, लाभ के लिए धर्म का शोषण करने, चरमपंथी विचारधाराओं को फैलाने, पंथों या विधर्मियों को बढ़ावा देने या विदेशी धार्मिक घुसपैठ गतिविधियों में भाग लेने से रोकता हैं। अधिकारियों के अनुसार यह कदम साइबरस्पेस में धार्मिक मामलों को मानकीकृत करने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के बीजिंग के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।

दरअसल, धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता का सम्मान और संरक्षण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सरकार की एक मूलभूत नीति है। कहने को तो चीन जनवादी गणराज्य के संविधान का अनुच्छेद 36 गारंटी देता है जिससे तहत नागरिकों को धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता प्राप्त है। चीनी धार्मिक कानून के अनुसार कोई भी राज्य निकाय, सार्वजनिक संगठन या व्यक्ति नागरिकों को किसी भी धर्म में विश्वास करने या करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता; ही वे उन नागरिकों के साथ भेदभाव कर सकते हैं जो किसी भी धर्म में विश्वास करते हैं या नहीं करते, लेकिन वस्तुस्थिति इतनी भी लचीलापन लिए हुए नहीं नजर आती।

चीन में धर्माचरण के लिए कानूनी ढाँचा

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में, चीन ने धार्मिक गतिविधियों पर राज्य के नियंत्रण को बढ़ाने के क्रम में अब तक कई उपाय लागू किए जा चुके हैं।  फरवरी 2018 में राज्य परिषद ने धार्मिक मामलों पर 2005 के विनियमों में संशोधन पेश किए। 2020 को इस्लामिक हाजी मामलों के प्रशासन पर उपाय लागू किए गये तो मई 2021 को धार्मिक कर्मचारियों पर नए प्रशासनिक उपाय लागू हुए, जिसके अनुच्छेद 3 के अनुसार अन्य शर्तों के अलावा, पादरियों कोकम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व’ का समर्थन करना आवश्यक है। मार्च 2022 को इंटरनेट धार्मिक सूचना सेवाओं के प्रशासन के लिए उपाय लागू हुए, जो बिना अनुमति के ऑनलाइन धार्मिक सामग्री साझा करने पर प्रतिबंध लगाते हैं, जिसमें टेक्स्ट संदेश, चित्र, ऑडियो और वीडियो शामिल हैं। ये उपाय खासतौर पर ऐसी धार्मिक सामग्री पर भी प्रतिबंध लगाते हैं जो नाबालिगों को धर्म में विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है। सितंबर 2023 में धार्मिक गतिविधि स्थलों के प्रशासन के लिए उपाय लागू हुए, जिसके अनुसार धार्मिक गतिविधियों के लिए इमारतों का आधिकारिक मूल्यांकन और अनुमोदन आवश्यक है और उनका उपयोग ऐसी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए जोराष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालें, सामाजिक व्यवस्था को बाधित करें या, राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुँचाते हो।‘

 पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के आपराधिक कानून में संशोधन 9 में अनुच्छेद 300 में  पुनर्परिभाषित व्यााख्या के अनुसार, जो कोई भी किसी अंधविश्वासी संप्रदाय, गुप्त समाज या पंथ संगठन शी जियाओ, का आयोजन या उपयोग करता है या राज्य के किसी कानून या प्रशासनिक विनियमन के कार्यान्वयन को बाधित करने के लिए अंधविश्वास का उपयोग करता है, उसे जुर्माने के साथ कम से कम तीन वर्ष लेकिन अधिकतम सात वर्ष के कारावास की सजा दी जाएगी। कुछ देशों में, यह बहस चीनी आपराधिक कानून की धारा 300 की व्याख्या पर केंद्रित है, जो ज़ी जियाओ (“विषमपंथी शिक्षाएँ,” यापंथ”, जिसे सीसीपी किसी भी स्वतंत्र धार्मिक समूह के रूप में सूचीबद्ध करती है और जिसे पार्टी के प्रति शत्रुतापूर्ण माना जाता है) के रूप में सताए गए समूहों में सक्रिय लोगों पर जेल की सज़ा का प्रावधान करती है।  धारा 300 केवल ज़ी जियाओ के उन सदस्यों के खिलाफ़ लागू होती है जोअपराध करते हैं इसके तहत विदेशी अदालतों और शरणार्थी आयोगों में भी उन्हंे शरण दिए जाने का प्रावधान है। हालांकि यह कानून अपनी परिभाषाओं में व्यापक और कुछ हद तक अस्पष्ट है, जो प्रवर्तन में व्यापक विवेकाधिकार की अनुमति देता है।

फ़रवरी, 2024 से प्रभावी ये संशोधन धर्मों के चीनीकरण’ पर केंद्रित हैं, जो 2016 से राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता रही है ताकि पूजा स्थलों और धार्मिक शिक्षाओं कोहान चीनी संस्कृति’ औरचीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा’ को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित किया जा सके। 2024 के कई संशोधन शिनजियांग के नियामक ढाँचे को 2014 से अपनाए गए राष्ट्रीय कानूनों और नियमों में प्रतिबंधों के अनुरूप लाते प्रतीत होते हैं। चीनी अधिकारियों ने आखिरी बार 2014 में इन धार्मिक नियमों में संशोधन किया था, जो दो दशक पहले लागू किए गए नियमों की जगह ले रहे थे। ये नियम और उनके संशोधन शिनजियांग में चीनी सरकार की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं, जहाँ उइगरों पर कठोर दमन किया जा रहा है। चीन, शिनजियांग के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अपने बहुसंख्यक मुस्लिम उइगर अल्पसंख्यकों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर भी कड़ी अंतरराष्ट्रीय जांच के घेरे में है। मानवाधिकार समूहों ने चीनी सरकार पर दंडात्मक कार्रवाई करने का आरोप लगाया है, जिसके तहत लगभग 10 लाख उइगर जातीय समूहों को नज़रबंदी शिविरों में बंद कर दिया गया है।

पंथ विचारधारा रखने वालों को दबाने के चीनी प्रयास

2017 से, चीनी सरकार शिनजियांग में उइगरों और अन्य तुर्क मुसलमानों के खिलाफ व्यापक और व्यवस्थित उत्पीड़न कर रही है। इनमें बड़े पैमाने पर मनमानी हिरासत, यातना, जबरन गायब कर दिया जाना, सामूहिक निगरानी, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्पीड़न, परिवारों को अलग करना, जबरन श्रम, यौन हिंसा और प्रजनन अधिकारों का उल्लंघन शामिल हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने 2021 में निष्कर्ष निकाला कि येउल्लंघन मानवता के विरुद्ध अपराध हैं, जबकि 2022 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में भी पाया गया कि ये दुर्व्यवहारमानवता के विरुद्ध अपराध’ हो सकते हैं।

2024 के संशोधन ज़मीनी स्तर पर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को समाज की निगरानी करने का अधिकार देते हैं। इसके अनुच्छेद 7 के तहत, ‘ग्राम समितियों’ औरपड़ोस समितियोंके कार्यकर्ताओं को धार्मिक अधिकारियों को रिपोर्ट करना होगा यदि उन्हेंअवैध धार्मिक संगठन, अवैध प्रचारक, अवैध धार्मिक गतिविधियाँ, या ज़मीनी स्तर के सार्वजनिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए धर्म के उपयोग’ का पता चलता है।‘ निम्न स्तर पर ये निगरानी शक्तियाँ, विशेष रूप से शिनजियांग और तिब्बत में दमन की विशेषता हैं, जो शी जिनपिंग की शासन और सामाजिक नियंत्रण की जन लामबंदी शैली के अनुरूप है, एक ऐसी शैली जिसके बारे में चीनी सरकारी मीडिया आमतौर पर कहता है कि यह माओत्से तुंग के फेंगकियाओ अनुभव से प्रेरित है।

 फ़रवरी, 2024 से प्रभावी ये संशोधन धर्मों केचीनीकरण’ पर केंद्रित हैं, जो 2016 से राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता रही है ताकि पूजा स्थल और धार्मिक शिक्षाएँ हान चीनी संस्कृति और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सकें। 2024 के कई संशोधन शिनजियांग के नियामक ढाँचे को 2014 से अपनाए गए राष्ट्रीय कानूनों और नियमों में प्रतिबंधों के अनुरूप लाते प्रतीत होते हैं।

2014 में, अधिकारियों ने उइगरों के ऑनलाइन धार्मिक जीवन पर राज्य के नियंत्रण को बढ़ाने और अधिकारियों द्वाराचरमपंथी परिधान’ माने जाने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लगाने के लिए झिंजियांग के धार्मिक नियमों में संशोधन किया था। सरकार का हिंसक आतंकवाद के खिलाफ कड़ा प्रहार अभियान, 2017 में और भी बढ़ गया, जिसकी परिणति मानवता के विरुद्ध अपराधों में हुई जो लोगों को उनकी ऑनलाइन गतिविधियों, जैसे कुरान के पाठ की डिजिटल प्रतियाँ रखने, और उनके रूप-रंग, जैसे पुरुषों की बड़ी दाढ़ी रखने, के लिए दंडित करता है। निंग्ज़िया के एक चीनी मुस्लिम टूर ऑपरेटर, मा यान्हू, जो हज यात्रियों के लिए यात्रा दस्तावेज़ों का प्रबंध करने में विशेषज्ञ हैं, को 2023 में हिरासत में लिया गया और उन पर फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके मक्का की अवैध तीर्थयात्रा कराने का आरोप लगाया गया। मा पर लगाए गए आरोप मनमाने और गैरकानूनी थे, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई और उन्हें अवैध रूप से सीमा पार करने के आरोप में जेल में ही रखा गया है।9 दिसंबर 2024 को, कुख्यात चेंगदू अर्ली रेन कोवेनेंट चर्च की छठी वर्षगांठ पर, चर्च के उप उपयाजक ज़ेंग किंगताओ, उपदेशक यान होंग और एल्डर ली यिंगकियांग और उनके चार सदस्यीय परिवार को पुलिस अधिकारियों और चेंगदू वुहोउ जिला राजनीतिक सुरक्षा ब्यूरो ने दिन के अलग-अलग समय पर उनके घरों से अवैध सभा में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। 10 फ़रवरी 2025 को हुई क्रिश्चियन पादरी मा यान पर जिनफेंग जिला, यिनचुआन, निंग्ज़िया में 9 अगस्त 2024 को दस से ज्यादा ईसाइयों की एक सभा आयोजित करने का आरोप लगाया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें नौ महीने जेल की सजा सुनाई गई लेकिन एक महीने बाद रिहा कर दिया गया।

फरवरी 2024 में, सरकार ने कथित तौर पर दक्षिण-पश्चिम सिचुआन प्रांत में एक बांध परियोजना के विरोध में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान 1,000 से ज़्यादा तिब्बतियों को हिरासत में लिया इन बंदियों को कार्दज़े तिब्बती प्रान्त के डेगे काउंटी में विभिन्न स्थानों पर रखा गया था। ऊपरी वोंटो गाँव के वोंटो और येना मठों के 100 से ज़्यादा बौद्ध भिक्षु भी इनमें शामिल थे। बताया गया कि इन बंदियों को भोजन से वंचित रखा गया और पुलिस द्वारा उनकी हिंसक पिटाई की गई, जिनमें से कई को अस्पताल में इलाज की ज़रूरत पड़ी। नियोजित परियोजना स्थल के सबसे निकट स्थित वोंटो और येना मठ लगभग 300 भिक्षुओं का निवास स्थान हैं और इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। वोंटो मठ अपनी प्राचीन वास्तुकला और 13वीं शताब्दी के भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। तिब्बत के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान (आईसीटी) के अनुसार, तिब्बत की प्रमुख नदियों पर जलविद्युत बांधों के निर्माण में तेज़ी से हो रही प्रगति से अब तक कम से कम 1,44,468 लोग प्रभावित हुए हैं। अब तक यहां से 1,21,651 लोगों को निष्कासित किया जा चुका है।

चीनी कानूनी क्रियाकलापों पर अलग-अलग राय

विशेषज्ञों के अनुसार चीनी नियम वास्तव में किसी भी धर्म में विश्वास करने या करने की स्वतंत्रता को दर्शाते हैं और इस क्षेत्र में हाल ही में सामने आई कई समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इन्हें और अधिक विस्तृत और सटीक बनाया गया है। इसके अलावा, ये हिंसक चरमपंथी ताकतों को धर्म के बहाने लोगों को जबरन किसी खास धर्म में परिवर्तित करने से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित भी करता हैं, जिससे ये ताकतें जनता को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए बहकाने से रोकती हैं। ग्लोबल टाइम्स को दिए अपने बयान में डेली इत्तेहाद मीडिया ग्रुप के कार्यकारी संपादक मोइज़ फ़ारूक़ कहते है कि, झिंजियांग के ़िखलाफ़ दुष्प्रचार की ढेरों कहानियाँ सभी ने सुनी हैं। आखिरकार हमने सच्चाई भी देख ली है, और मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि झिंजियांग में मुसलमान पूरी आज़ादी का आनंद ले रहे हैं। उन्हें यहाँ धर्म का पालन करने की आज़ादी है, और संस्थान में बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

नवंबर 2024 में शिक्षाविदों हन्ना थेकर और डेविड आर. स्ट्रूप द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात पर रोशनी डालते है किचीनीकरण की नींव’ वास्तुकला से कहीं आगे जाती है, यह अभियान धर्मशास्त्र, अनुष्ठान, आहार, पोशाक, शिक्षा और मस्जिद में रोज़गार सहित अन्य विषयों से जुड़े मुद्दों को भी छूता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासनकाल में देश भर में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के बीच लगभग हर धार्मिक और आस्थावान समुदाय की दुर्दशा बिगड़ गई है। ह्यूमन राइट्स वॉच की कार्यवाहक चीन निदेशक माया वांगशिनजियांग में धर्म पर चीनी सरकार के नए नियम को उइगर संस्कृति और विचारधारा को दबाने का नवीनतम प्रयास मानती हैं।‘ उनके अनुसार इन संशोधनों का उद्देश्य धार्मिक प्रथाओं को जबरन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के अनुरूप बनाना है अन्यथा कारावास का जोखिम है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पश्चिमी देशों के सभी आरोपों का खंडन करते है। उनका कथनानुसार 2023 तक, 100 से अधिक विदेशी प्रतिनिधिमंडल इस खूबसूरत क्षेत्र के अनूठे आकर्षण का अनुभव करने के लिए झिंजियांग का दौरा किया, उन लोगों ने वास्तव में आर्थिक और सामाजिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों की बहुत प्रशंसा की है और झिंजियांग क्षेत्र की बहु-जातीय संस्कृति की रक्षा करने और लोगों की धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में चीनी सरकार के महान प्रयासों की सराहना की है।

Author

Mrs. Rekha Pankaj is a senior Hindi Journalist with over 38 years of experience. Over the course of her career, she has been the Editor-in-Chief of Newstimes and been an Editor at newspapers like Vishwa Varta, Business Link, Shree Times, Lokmat and Infinite News. Early in her career, she worked at Swatantra Bharat of the Pioneer Group and The Times of India's Sandhya Samachar. During 1992-1996, she covered seven sessions of the Lok Sabha as a Principle Correspondent. She maintains a blog, Kaalkhand, on which she publishes her independent takes on domestic and foreign politics from an Indian lens.

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