सामाजिक बीमा कानून कानून शी जिनपिंग के चीन में हेल्थ सिटिज़न होने का मतलब फिर से तय कर रहा है। हेल्थ इंश्योरेंस रिफॉर्म एक ऐसी जगह बन रहा है जहाँ डेटा, कम्प्लायंस और हक एक साथ आते हैं। हेल्थ सिटिज़न होने का मतलब है डिजिटल रजिस्ट्री, एल्गोरिथमिक मॉनिटरिंग और सोशल क्रेडिट सिस्टम (एससीएस) के नियमों के तहत सुपाठ्य विषय वस्तु का होना। चीन में स्वास्थ्य एक चिकित्सा परियोजना के साथ-साथ एक राजनीतिक परियोजना भी रही है।

This piece was originally written in English. Read it here. It has been translated to Hindi by Rekha Pankaj

जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा प्रशासन (एनएचएसए) के आयुक्त झांग के ने चीन के पहले एकीकृत सामाजिक बीमा कानून का अनावरण किया, तो उन्होंने इसे दीर्घकालिक स्थिरता की दिशा में एक कदम बताया। वर्तमान में समीक्षाधीन मसौदा कानून का उद्देश्य खंडित नियमों को समेकित करना तथा बुनियादी चिकित्सा बीमा, मातृत्व कवरेज और शहरी-ग्रामीण एकीकरण की संस्थागत नींव को मजबूत करना है। इसमें कवरेज, वित्तपोषण तंत्र और लाभ गारंटी पर स्पष्टता का वादा किया गया है। हालांकि, इसके असर सिर्फ ब्यूरोक्रेटिक एकीकरण तक ही सीमित नहीं हैं।

सामाजिक बीमा कानून कानून शी जिनपिंग के चीन में हेल्थ सिटिज़न होने का मतलब फिर से तय कर रहा है। हेल्थ इंश्योरेंस रिफॉर्म एक ऐसी जगह बन रहा है जहाँ डेटा, कम्प्लायंस और हक एक साथ आते हैं। हेल्थ सिटिज़न होने का मतलब है डिजिटल रजिस्ट्री, एल्गोरिथमिक मॉनिटरिंग और सोशल क्रेडिट सिस्टम (एससीएस) के नियमों के तहत सुपाठ्य विषय वस्तु का होना।  चीन में स्वास्थ्य एक चिकित्सा परियोजना के साथ-साथ एक राजनीतिक परियोजना भी रही है। सिस्टम के हर रीडिज़ाइन ने -देखभाल का हकदार कौन है, किन शर्तों के तहत, और किन जिम्मेदारियों के साथ -जैसे विषयों में उपायों को फिर से बांटा है और इन्हे शामिल करने की सीमाओं को फिर से बनाया है।


स्वास्थ्य नागरिकता की नींव

चीन की स्वास्थ्य प्रणाली का इतिहास समावेशन और बहिष्कार, सामूहिकता और बाज़ारीकरण के बीच झूलता रहा है। हर दौर ने हेल्थ केयर तक पहुंच और हेल्थ सिटिज़नशिप के दायरे को बदल दिया है। माओवादी काल में, स्वास्थ्य सुरक्षा को जन समुदायों और ग्रामीण सहकारी चिकित्सा प्रणाली (आरसीएमएस) के माध्यम से सामूहिक बनाया गया था। 1970 के दशक के अंत तक, 90 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण निवासियों को नाममात्र रूप से प्राथमिक स्तर पर कवर किया गया था। पहुंच कम्यून सदस्यता से जुड़ी हुई थी, इसलिए स्वास्थ्य नागरिकता सामूहिक थी लेकिन संकीर्ण रूप से परिभाषित थी।

1980 के दशक में बाजार सुधारों और कम्यूनों के विघटन ने इस प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। 2001 तक जेब से किया जाने वाला भुगतान राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यय का 60 प्रतिशत से अधिक हो गया। स्वास्थ्य सेवा एक बार फिर परिवार पर बोझ और ग्रामीण गरीबी का कारण बन गई। हू जिन्ताओ-वेन जियाबाओ प्रशासन ने इस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया। हालांकि, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है, स्वास्थ्य वित्तपोषण में सार्वजनिक और सामाजिक योगदान 2009 से काफी बढ़ गया है, तथा 2016 तक सामाजिक बीमा योगदान जेब से किए जाने वाले भुगतान और सरकारी आवंटन दोनों से आगे निकल गया है। फिर भी राज्य का राजकोषीय इनपुट मांग के सापेक्ष मामूली बना हुआ है। स्वास्थ्य परिणामों में क्षेत्रीय असमानताएं बनी हुई हैं, विशेष रूप से मातृ मृत्यु दर और अस्पताल में भर्ती मरीजों की उपयोगिता दर में।

इसी समय, चीन की महामारी विज्ञान प्रोफ़ाइल बदल गई। गैर-संचारी रोगों के तेजी से बढ़ने के साथ-साथ संक्रामक रोगों का पुनः उदय हुआ। 2009 में राष्ट्रीय बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम ने टीकाकरण, मातृ स्वास्थ्य और दीर्घकालिक रोग जांच के माध्यम से समानता का वादा किया था। हालाँकि, व्यवहार में, इसने मूल और दीर्घकालिक देखभाल की तुलना में पंजीकरण और निगरानी पर ध्यान केंद्रित किया। इन सभी फेज़ में एक कॉमन बात यह है कि ये शर्तों पर आधारित हैं। माओ के चीन में, पहुंच कम्यून सदस्यता पर निर्भर थी; सुधार युग में, स्थानीय राजकोषीय क्षमता और पुनर्वितरण पर। आज, लगभग सार्वभौमिक नामांकन अपर्याप्त संरक्षण के साथ मौजूद है। स्वास्थ्य नागरिकता प्रशासनिक रूप से निर्मित और राजनीतिक रूप से नाजुक बनी हुई है। अगला सुधार इसी असमान आधार पर सामने आ रहा है।


संहिताकरण एक चौराहे पर

सामाजिक बीमा कानून का मसौदा यह तय करेगा कि चीन में स्वास्थ्य नागरिकता सार्वभौमिकता के करीब पहुँचती है या नहीं। सबसे पहले, यह कानून हुकू सिस्टम से पैदा हुई स्ट्रक्चरल असमानताओं को हल नहीं करता है। एडमिनिस्ट्रेटिव एकीकरण के बावजूद, अर्बन और रूरल रेजिडेंट बेसिक मेडिकल इंश्योरेंस ( यूआरआरबीएमआई) के तहत रीइम्बर्समेंट रेट अर्बन एम्प्लॉई बेसिक मेडिकल इंश्योरेंस (यूईबीएमआई) की तुलना में काफी कम हैं। प्रवासी श्रमिकों को अभी भी विभिन्न प्रांतों में कवरेज अलग-अलग मिलता है। समान न्यूनतम लाभ और राष्ट्रीय पूलिंग के लिए वैधानिक आवश्यकताओं के बिना, भौगोलिक और वर्ग-आधारित असमानताओं को कानून में संहिताबद्ध किए जाने का खतरा है। यदि मोबाइल श्रम बल का बड़ा हिस्सा द्वितीय श्रेणी के स्वास्थ्य नागरिक बने रहेंगे तो स्थायित्व खोखला है।

दूसरे, स्थिरता को नामांकन आंकड़ों के बराबर नहीं माना जा सकता। दो दशकों से स्थानीय सरकारों ने मुख्य कवरेज दरों को प्राथमिकता दी है, जबकि वितरण के लिए कम धन मुहैया कराया है। ग्रामीण निवासियों का औपचारिक रूप से बीमा किया जाता है, लेकिन गंभीर बीमारी का सामना करने पर उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ता है। यदि सामाजिक बीमा कानून राजकोषीय हस्तांतरण को प्रदर्शन से जोड़े बिना मौजूदा वित्तपोषण संरचनाओं को संरक्षित करता है, तो इससे नौकरशाही मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलने का खतरा है। लाभ योजना, प्रदाता भुगतान और जोखिम पूलिंग के लिए राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने हेतु एनएचएसए को सशक्त बनाने के लिए पुनर्संयोजन की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कवरेज वास्तविक सुरक्षा में परिवर्तित हो।

तीसरे, कानून को चीन के बदलते श्रम बाजार का सामना करना होगा। 200 मिलियन से अधिक श्रमिक अब लचीले, प्लेटफार्म-आधारित रोजगार में लगे हुए हैं। स्थिर, औपचारिक वेतन के इर्द-गिर्द तैयार की गई प्रणाली में तेजी से बढ़ते कार्यबल को बाहर करने का जोखिम है। बीमा निधियों की इक्विटी और दीर्घकालिक राजकोषीय आधार के लिए लचीले, आय-आधारित अंशदान और पोर्टेबल सब्सिडी आवश्यक हैं। अनुकूलन में असफल होने का अर्थ यह होगा कि लाखों लोग केवल नाममात्र के लिए ही बीमाकृत रह जाएंगे, जिससे स्वास्थ्य नागरिकता का द्विभाजित मॉडल मजबूत होगा।

ये तकनीकी डिजाइन प्रश्न संवैधानिक भी हैं। यह परिभाषित करना कि कौन पात्र है, किन शर्तों के तहत, और किस संरक्षण के साथ, स्वास्थ्य नागरिकता की सीमाओं को पुनः परिभाषित करना है। इस चरण की विशेषता यह है कि इस प्रकार के निर्धारण डिजिटल आर्किटेक्चर में अंतर्निहित किए जा रहे हैं। पात्रता, योगदान इतिहास और लाभ पहुंच को वास्तविक समय में दर्ज किया जाता है, डिजिटल आईडी सिस्टम के साथ क्रॉस-लिंक किया जाता है, और एल्गोरिथम ऑडिटिंग के अधीन होता है। डिजिटल संहिताकरण पोर्टेबिलिटी और अनुपालन में कुछ अंतराल को बंद कर सकता है, लेकिन यह निगरानी के माध्यम से अधिकार को भी लागू करता है। यदि सामाजिक ऋण प्रणालियों के साथ एकीकरण को और अधिक गहन किया जाता है, जैसा कि कई प्रांतों में पहले ही प्रायोगिक तौर पर किया जा चुका है, तो एक क्षेत्र में अनुपालन न करने पर स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सहित अन्य क्षेत्रों में प्रतिबंध लग सकते हैं।

डिजिटल शासन और एल्गोरिथमिक स्वास्थ्य नागरिकता

पहले के सुधारों ने प्रशासनिक नामांकन के माध्यम से स्वास्थ्य नागरिकता का निर्माण किया था और अब शी-युग के सुधार इसे डिजिटल अवसंरचना में शामिल कर रहे हैं। एनएचएसए ने दुनिया की सबसे व्यापक वास्तविक समय दावा निगरानी प्रणालियों में से एक का निर्माण किया है, जो विभिन्न प्रांतों के अस्पतालों, फार्मेसियों और बीमा रजिस्ट्री को जोड़ती है। इससे पोर्टेबिलिटी संभव हो जाती है, लेकिन केवल उन लोगों के लिए जो डिजिटल रूप से योग्य हैं। प्रत्येक लेनदेन एल्गोरिथम ऑडिटिंग के अधीन है और प्रतिपूर्ति योगदान रिकॉर्ड, अनुमोदित प्रदाताओं और सत्यापित रोगी पहचान के अनुपालन पर निर्भर है।

मानकीकृत डिजिटल पंजीकरण से वंचित प्रवासियों, गिग श्रमिकों, या अंतर-प्रांतीय देखभाल चाहने वाले रोगियों को अक्सर देरी या इनकार का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार सार्वभौमिकता का वादा, प्रणाली के भीतर निरंतर दृश्यता पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, जिआंगसू के सुइनिंग काउंटी में स्थानीय प्राधिकारियों ने सामाजिक क्रेडिट अंकों को स्वास्थ्य देखभाल लाभों से जोड़ने का प्रयोग किया। जो निवासी यातायात कानूनों या परिवार नियोजन नियमों का उल्लंघन करते हैं, उनकी सब्सिडी तक पहुंच कम हो सकती है। स्थानीयकृत पायलटों से यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार डिजिटल बीमा रजिस्ट्री, क्रेडिट स्कोर और अनुशासनात्मक तंत्र को अनुपालन व्यवस्था में एकीकृत किया जा सकता है। ’नए युग’ में स्वास्थ्य नागरिकता सभी क्षेत्रों में व्यवहारिक अनुरूपता बन गई है।

डिजिटल संहिताकरण राज्य, नागरिक और प्रदाता के बीच शक्ति संतुलन को भी बदल देता है। स्थानीय सरकारों की अब स्वचालित रिपोर्टिंग के माध्यम से निगरानी की जा सकती है, जबकि प्रदाताओं को दावों की वास्तविक समय जांच का सामना करना पड़ता है। यही तंत्र मरीजों को संभावित चूककर्ता के रूप में भी पेश करता है, जिनकी फिर निरंतर जांच की जाती है। सुरक्षा के रूप में स्वास्थ्य सेवा और निगरानी के रूप में स्वास्थ्य सेवा के बीच की रेखा तेजी से धुंधली होती जा रही है। चीन का अनुभव दर्शाता है कि डिजिटल एकीकरण कवरेज में कुछ अंतरालों को पाट सकता है, विशेष रूप से मोबाइल आबादी के लिए, लेकिन यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल को अनुपालन पर निर्भर बनाता है।

असल में, यह अक्सर सोशल क्रेडिट सिस्टम के बड़े लॉजिक्स से जुड़ जाता है। आज्ञाकारी नागरिकों के लिए ’लाल सूची’ और अविश्वसनीय समझे जाने वाले लोगों के लिए ’काली सूची’ के माध्यम से, कल्याण को अनुशासन के तंत्र के साथ तेजी से जोड़ा जा रहा है। महामारी ने पहले ही यह प्रदर्शित कर दिया है कि स्वास्थ्य रिकॉर्ड, यात्रा अनुमति और व्यवहार स्कोरिंग को कितनी जल्दी शासन की एक ही व्यवस्था में समाहित किया जा सकता है। चीन में एक स्वस्थ नागरिक होने का अर्थ यह है कि संरक्षण के लिए अर्हता प्राप्त करना तथा साथ ही ऐसी प्रणाली में नामांकित होना जो अनुपालन को पुरस्कृत करती है तथा विचलन को दण्डित करती है। बीमा, जो जोखिम के विरुद्ध एक प्रतिरोधक है, अब निगरानी के साधन के रूप में भी कार्य करता है। यह शी-युग के स्वास्थ्य सुधार का विरोधाभास है। नियंत्रण के विस्तार के साथ-साथ संरक्षण का विस्तार भी हुआ है तथा दृश्यता के माध्यम से सार्वभौमिकता का प्रयास किया गया है।

Author

Trishala S is a Research Associate at the Organisation for Research on China and Asia (ORCA). She holds a degree in Sociology with a minor in Public Policy from FLAME University. Trishala’s research interests lie at the intersection of socio-political dynamics, family and gender studies, and legal frameworks, with a particular focus on China. Her work examines the effects of aging populations, gender disparities, and rural-urban migration on social welfare, labor policies, and the integration of migrants into urban environments. She is also the coordinator of ORCA's Global Conference on New Sinology (GCNS), which is India's premier dialogue driven China conference. She can be reached at [email protected]

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